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दुधवा राष्ट्रीय उद्यान से जुड़े सभी महत्त्वपूर्ण जानकारी । Dudhwa National Park in hindi 2023

दुधवा राष्ट्रीय उद्यान से जुड़े सभी महत्त्वपूर्ण जानकारी । Dudhwa National Park in hindi 2023

All Information about Dudhwa National Park in hindi 2023 । दुधवा राष्ट्रीय उद्यान से जुड़े सभी महत्त्वपूर्ण जानकारी

दुधवा राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना

दुधवा राष्ट्रीय उद्यान भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के लखीमपुर खीरी जनपद में स्थित उत्तर प्रदेश राज्य का एक प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान और संरक्षित वन क्षेत्र है दुधवा राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना वर्ष 1977 में की गई थी यह राष्ट्रीय उद्यान भारत और नेपाल की सीमा से लगभग 90 किलोमीटर के बफर क्षेत्र के साथ 490 वर्ग किलोमीटर के वन क्षेत्र में फैला हुआ है दुधवा राष्ट्रीय उद्यान, दुधवा टाइगर रिजर्व का एक हिस्सा है 

यह राष्ट्रीय उद्यान अत्यंत विविध है जो हमारे परिस्थितिकी तंत्र के कुछ महत्वपूर्ण उदाहरणों को दर्शाता है इस राष्ट्रीय उद्यान में बड़ी संख्या में लुप्तप्राय है प्रजातियां के पशु-पक्षी देखने को मिलती है जो दूसरे राष्ट्रीय उद्यान में बहुत कम ही देखने को मिलते हैं |

दुधवा राष्ट्रीय उद्यान के प्रसिद्धि के कारण

दुधवा राष्ट्रीय उद्यान बाघों और बारहसिंगा के लिए प्रसिद्ध है इस राष्ट्रीय उद्यान को बारहसिंगों का गढ़ माना जाता है क्योंकि दुनिया में पाए जाने वाले बारहसिंगों की कुल आबादी का लगभग 50 प्रतिशत इस राष्ट्रीय उद्यान में पाया जाता है।

दुधवा राष्ट्रीय उद्यान का इतिहास

दुधवा राष्ट्रीय उद्यान के वन और इसकी वन्य संपदा के संरक्षण की शुरूवात सन् 1860 ईस्वी में ब्रिटिश गवर्नर ‘ सर डी.वी. ब्रेन्डिस ‘ के आगमन के बाद हुई उन्होंने सन् 1861 ईस्वी में इस जंगल के 303 वर्ग किलोमीटर के हिस्से को ब्रिटिश इंडिया सरकार के अन्तर्गत संरक्षित क्षेत्र घोषित कर दिया इसके बाद में इसके आसपास के इलाके के जंगलों को भी मिलाकर इस वन को विस्तारित किया गया ।

सन् 1958 ईस्वी में इस जंगल के 15.9 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को सोनारीपुर अभ्यारण घोषित किया गया था जिसके बाद सन् 1968 ईस्वी में इस अभयारण्य में 212 वर्ग किलोमीटर का विस्तार कर इसे दुधवा अभ्यारण के रूप में घोषित किया गया । इस अभयारण्य को हिरणों की एक प्रजाति बारासिंहा के संरक्षण को ध्यान में रख कर बनाया गया था बारहसिंघा को दलदल हिरण भी कहा जाता है क्योंकि यह दलदली भूमि पर रहता है ।

सन् 1968 में 212 वर्ग किलोमीटर के इह संपूर्ण क्षेत्र को दुधवा अभयारण्य घोषित करने के बाद इस जंगली इलाके को नार्थ – वेस्ट फ़ारेस्ट आफ़ खीरी डिस्ट्रिक्ट के नाम से जाना जाता था किन्तु सन् 1937 में इसे नार्थ खीरी फरेस्ट डिवीजन का दर्जा दिया गया। 

इसके पश्चात 1 फरवरी 1977 में भारत सरकार ने स्वयं इस अभयारण्य के क्षेत्र को राष्ट्रीय उद्यान के रूप में घोषित किया दुधवा राष्ट्रीय उद्यान को उत्तर प्रदेश राज्य के गठन के बाद राज्य का प्रथम राष्ट्रीय उद्यान माना जाता है।

1987 में दुधवा राष्ट्रीय उद्यान और किशनपुर वन्यजीव अभयारण्य को एक साथ विलय करके इस संपूर्ण क्षेत्र को भारतीय बाघ संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षित दुधवा टाइगर रिजर्व घोषित कर दिया गया इस टाइगर रिजर्व का कुल क्षेत्रफल 818 वर्ग किलोमीटर है। बाद में 66 वर्ग किलोमीटर के बफ़र जोन को सन् 1997 ईस्वी में इस उद्यान में सम्म्लित कर लिया गया और वर्तमान में इस संरक्षित क्षेत्र का कुल क्षेत्रफ़ल 884 वर्ग किलोमीटर है । 

वर्तमान में यह राष्ट्रीय उद्यान दो वन्यजीव अभयारण्यों, किशनपुर वन्यजीव अभयारण्य और कतरनियाघाट वन्यजीव अभ्यारण में विभाजित है।

दुधवा राष्ट्रीय उद्यान में पाए जाने वाले वन्यजीव

दुधवा राष्ट्रीय उद्यान वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक महत्वपूर्ण आकर्षण का केंद्र है आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह उद्यान 87 वर्ग किलोमीटर की दलदली भूमि , घास के मैदान और घने जंगलों में फैला हुआ उत्तर प्रदेश राज्य का एक बड़ा और प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान है।

इस राष्ट्रीय उद्यान को दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियों का घर माना जाता है जिसमें बाघ , तेंदुए, बिल्ली , स्लथ बियर , एक सींग हिसपिड खरगोश , हाथी , काले हिरण और दलदली हिरण आदि शामिल हैं ।

इस राष्ट्रीय उद्यान में 38 से अधिक प्रजातियों के स्तनधारी , 16 प्रजातियों के सरीसृप और पक्षियों की कई प्रजातियां पाए जाते है भारतीय उपमहाद्वीप में पाए जाने वाले लगभग 1300 पक्षियों की प्रजातियों में से 450 से अधिक पक्षियों कि प्रजातियां इस राष्ट्रीय उद्यान में देखने को मिलते है।

इस राष्ट्रीय उद्यान में हिरणो की 5 प्रजातियां पाई जाती है- चीतल, सांभर, पाढ़ा , काकड़ और बारहसिंगा ।

दुधवा नेशनल पार्क में गैंडा , दलदली हिरण , हाथी , चीतल , जंगली सुअर , सांभर , रीसस बंदर , गूर , सुस्त भालू , सांभर , हॉग हिरण , नीला लंगूर , साही , कछुए , अजगर , मॉनिटर छिपकली और घड़ियाल आदि जंगली जानवर पाए जाते हैं इसके अतिरिक्त इस राष्ट्रीय उद्यान में बाघ, तेंदुआ, हाथी, भालू , उड़न गिलहरी, मगरमच्छ सहित क‌ई प्रकार के सरीसृप, उभयचर और तितलियों की प्रजातियां पाई जाती है।

दुधवा राष्ट्रीय उद्यान में पाए जाने वाले वनस्पति

जैव विविधता के मामले में यह राष्ट्रीय उद्यान काफी समृद्ध है और पर्यावरण की दृष्टि से यह राष्ट्रीय उद्यान भारत की अमूल्य परिस्थितिकीय धरोहर है।

इस राष्ट्रीय उद्यान के जंगलों में असना , बहेड़ा , जामुन , खैर के अतिरिक्त कई प्रकार के वृक्ष मौजूद हैं । इसके अतिरिक्त विभिन्न प्रकार की झाड़ियां , घासें , लतिकायें , औषधीय वनस्पतियां और सुन्दर पुष्पों वाली वनस्पतियां बहुतायत मात्रा में इस राष्ट्रीय उद्यान में पाई जाती हैं ।

इस राष्ट्रीय उद्यान में बहुतायत मात्रा में साल और शाखू के वृक्ष पाए जाते है।

दुधवा राष्ट्रीय उद्यान की वन्य परियोजनाएं

वन्यजीवो के संरक्षण के लिए दुधवा राष्ट्रीय उद्यान में कई वन्यजीव परियोजनाएं शुरू की गई । इन परियोजनाओं में लुप्तप्राय जानवरों की प्रजाति को बचाने के लिए पहल किया गया इन परियोजनाओं के अंतर्गत मुख्यत बाघ और गैंडा जैसे जानवर को बचाने के लिए पहल किया गया ।

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