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भारत छोड़ो आंदोलन । quit India movement

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भारत छोड़ो आंदोलन । quit India movement

भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत, कारण तथा परिणाम –

भारत छोड़ो आंदोलन की शुरूआत :- 

भारत छोड़ो आंदोलन द्वितीय विश्वयुद्ध के समय 8 अगस्त 1942 को शुरू किया गया था द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश फौजों कि दक्षिण – पूर्व एशिया में हार हुई जिसके कारण अंग्रेजी शासन धीरे-धीरे कमजोर होने लगा इसी कारण मित्र देश अमेरिका, रूस और चीन ब्रिटेन पर लगातार दबाव डाल रहे थे कि इस संकट की घड़ी में वें भारतीयों का समर्थन प्राप्त करने के लिए पहल करें अपने इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए अंग्रेज सरकार ने मार्च 1942 में स्टैनफोर्ड क्रिप्श को भारत भेजा क्रिप्स मिशन का वास्तविक उद्देश्य द्वितीय विश्वयुद्ध में भारतीयों का पूर्ण सहयोग प्राप्त करना था इसके अलावा ब्रिटिश सरकार भारत को पूर्ण स्वतंत्रता नहीं देना चाहते थे वें भारत की सुरक्षा तथा शासन अपने हाथों में ही रखना चाहते थे और साथ ही गवर्नर जनरल के वीटो अधिकार को भी पहले जैसा ही रखना चाहता था जिसके कारण भारतीय प्रतिनिधियों ने क्रिप्स मिशन के सारे प्रस्ताव को खारिज कर दिया।

क्रिप्स मिशन की असफलता के बाद 8 अगस्त 1942 को बंब‌ई में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बैठक हुई

इस अधिवेशन में यह निर्णय लिया गया कि अंग्रेजों को किसी भी परिस्थिति में भारत छोड़ने पर मजबूर किया जाए भारत अपनी सुरक्षा स्वयं करेगा जिसके लिए भारत को पूर्ण स्वतंत्रता चाहिए तथा भारत हमेशा साम्राज्यवाद और फासीवाद के विरुद्ध रहेगा इसलिए इस अधिवेशन में उपस्थित सभी सदस्यों ने ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध नागरिक अवज्ञा आंदोलन छेड़ने का प्रस्ताव रखा।  

इस आंदोलन का लक्ष्य भारत से ब्रिटिश साम्राज्य को समाप्त करना था यह आंदोलन 8 अगस्त 1942 को महात्मा गांधी द्वारा अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मुंबई अधिवेशन में शुरू किया गया था

9 अगस्त 1942 को गांधीजी के आवाहन पर पूरे देश में यह आंदोलन एक साथ आरंभ हुआ

भारत छोड़ो आंदोलन भारत को अंग्रेजी शासन से तुरंत आजाद करने के लिए अंग्रेजी शासन के विरुद्ध एक प्रकार का सविनय अवज्ञा आंदोलन था 

भारत छोड़ो आंदोलन का उद्देश्य –

8 अगस्त 1942 को मुंबई में हु‌ई अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में एक प्रस्ताव पारित किया गया इस प्रस्ताव को भारत छोड़ो प्रस्ताव कहा गया।

इस प्रस्ताव का उद्देश्य भारत में ब्रिटिश शासन की समाप्ति था इस प्रस्ताव में यह कहा गया कि एक बार स्वतंत्र होने के बाद भारत अपने सभी संसाधनों के साथ फासीवाद और साम्राज्यवादी ताकतों के विरुद्ध लड़ रहे देशों के साथ युद्ध में शामिल हो जाएगा इस प्रस्ताव में देश की स्वतंत्रता के लिए अहिंसा पर आधारित जन आंदोलन की शुरुआत को अनुमोदन प्रदान किया गया।
इस प्रस्ताव के पारित होने के पश्चात गांधी जी ने कहा कि एक छोटा सा मंत्र है जो में आपको देता हूं इसे आप अपने हृदय में अंकित कर ले इस आंदोलन में हम या तो आजादी प्राप्त करेंगे या फिर देश की आजादी के लिए जान दे देंगे।


भारत छोड़ो आंदोलन के कारण 

• क्रिप्स मिशन से निराशा – इस मिशन के प्रस्तावों ने सभी भारतीयों के मन में निराशा उत्पन्न कि सभी भारतीयो को लगने लगा कि क्रिप्स मिशन अग्रेजों की एक चाल है जो हमे धोखे में रखने के लिए अंग्रेजों द्वारा चलाई गई है । 

• बर्मा में भारतीयों पर अत्याचार – बर्मा में भारतीयों के साथ किये गए दुर्व्यवहार और अत्याचार के कारण अंग्रेजी शासन के विरुद्ध भारतीयों के मन में आंदोलन प्रारम्भ करने की तीव्र भावना जागृत हुई ।

• ब्रिटिश सरकार की घोषणा- 27 जुलाई , 1942 ई अंग्रेजों की फूट डालो और शासन करो की नीति के तहत ब्रिटिश सरकार द्वारा एक घोषणा जारी किया गया जिसमें यह कहा गया कि अगर कांग्रेस की मांग स्वीकार की गई तो उससे भारत में रहने वाले मुस्लिम तथा अछूत जनता के ऊपर हिन्दुओं का आधिपत्य हो जाएगा । अंग्रेजों की इसी नीति के कारण भारतीयों के मन में आंदोलन करने की जागृति उत्पन्न हुई।

• आर्थिक दुर्दशा- अंग्रेजी सरकार द्वारा अपनाई गई नीतियों के कारण भारत की आर्थिक स्थिति बहुत ही ज्यादा खराब हो गई थी और धीरे – धीरे स्थिति और बदतर होती जा रही थी जिसके कारण सभी भारतीयों के मानने आंदोलन की भावना उत्पन्न हुई। 

• भारतीयों के मन में जापानी आक्रमण का भय – द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापानी सेना अत्यंत प्रभावशाली हो चुका था जापानी सेना ने रंगून पर हमला कर उसे अपने नियंत्रण में कर लिया था जिसके कारण सभी भारतीयों को लगने लगा था कि जापानी सेना भारत पर भी आक्रमण करेंगी । भारतीयो को यह पता था कि अगर जापानी सेना भारत पर हमला करें तो अंग्रेज जापानी सेना का सामना नहीं कर सकेंगे ।

भारत छोड़ो आंदोलन शुरू होने के पश्चात देश की स्थिति –

8 अगस्त 1942 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मुंबई अधिवेशन में भारत छोड़ो आंदोलन शुरू करने का निर्णय लिया गया और 9 अगस्त से ‘ करो या मरो ‘ और ‘ भारत छोड़ो ‘ भारतीयो का नारा बन गया 9 अगस्त 1942 की सुबह ही कांग्रेस के अधिकांश नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें देश के अलग-अलग हिस्से में जेल में डाल दिया गया साथ ही कांग्रेस पर प्रतिबंध लगा दिया गया इसे पूरे देश में हड़ताल हो गया सरकार द्वारा पूरे देश में गोलीबारी, लाठीचार्ज और गिरफ्तारी की गई इससे लोगों का गुस्सा भी हिंसक गतिविधियों में बदल गया लोगों ने सरकारी कंपनियों पर हमले किए कई जगह आंदोलनकारियों ने रेलवे पटरियों को उखाड़ दिया गया अनेक स्थानों पर ब्रिटिश पुलिस और जनता के बीच संघर्ष हुआ सरकार ने आंदोलन से संबंधित समाचारों के प्रसारण पर रोक लगा दी 

भारत छोड़ो आंदोलन के परिणाम –

• भारत छोड़ो आंदोलन का परिणाम यह हुआ कि ब्रिटिश सरकार द्वारा हजारों भारतीय आंदोलनकारियों को बन्दी बनाया गया तथा इस आंदोलन में शामिल बहुत से आंदोलनकारियों को दमन का शिकार होकर मृत्यु का वरण करना पड़ा । 1942 के अंत तक ब्रिटिश सरकार द्वारा 60 हजार लोगों को जेल में डाल दिया गया और कई हजार लोग मारे गए देश के कई भाग जैसे – उत्तर प्रदेश का बलिया, बंगाल में तांबलुक, महाराष्ट्र में सतारा, कर्नाटक में धारवाड़ और उड़ीसा में तालचेर ब्रिटिश शासन से मुक्त हो गए और वहां के लोगों ने स्वयं की सरकार का गठन किया।

जयप्रकाश नारायण, अरूणा आसफ अली, एसएन जोशी राम मनोहर लोहिया और अन्य कई लोगों ने इस आंदोलन काल के दौरान क्रांतिकारी गतिविधियों का आयोजन किया इस आंदोलन के साल लोगों के लिए भयानक संघर्ष के दिन थे ब्रिटिश सेना और पुलिस के दमन के कारण फैली गरीबी के अलावा बंगाल में गंभीर अकाल पड़ा जिसमें लगभग 30 लाख लोग मारे गए ब्रिटिश सरकार ने भूख से मर रहे लोगों को राहत पहुंचाने में बहुत कम रुचि दिखाई।

• भारत छोड़ो आंदोलन ने देश की रूपरेखा को बहुत हद तक बदल दिया इस आंदोलन से देश की जनता के मन में अंग्रेजी शासन और अंग्रेजों के अत्याचार के विरूद्ध द्वेश और घृणा की भावना उत्पन्न की जिसके कारण देश की जनता के मन में स्वतंत्रता की भावना उत्पन्न हुई।

• भारत छोड़ो आंदोलन में देश के युवा , मजदूर वर्ग के लोग , जमींदार, किसान और महिलाओं ने भी बढ़ – चढ़ कर हिस्सा लिया यहां तक कि अंग्रेजी सेना में शामिल भारतीय अधिकारियों के मन में भी देशभक्ति की भावना जागृत हुई और उन्होंने भी इस आंदोलन के आंदोलनकारियों का समर्थन किया।

• भारत छोड़ो आंदोलन के प्रति मुस्लिम लीग का कोई उत्साह नहीं था। कांग्रेस विरोधी होने के कारण लीग का महत्व अंग्रेजों की दृष्टि में बढ़ गया अंग्रेजों ने फूट डालो और शासन करो की नीति द्वारा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच मतभेद उत्पन्न किया। 

• भारत छोड़ो आंदोलन को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अलावा अन्य राजनीतिक दलों का समर्थन प्राप्त नहीं हुआ ,  परन्तु स्थानीय स्तर पर इस आंदोलन कै कुछ कम्युनिस्टों का समर्थन प्राप्त हुआ।

• मुस्लिम लीग के तत्कालीन अध्यक्ष मोहम्मद अली जिन्ना ने एक अलग राष्ट्र पाकिस्तान की मांग की सन् 1942 में ब्रिटिश सरकार द्वारा भेजे गए क्रिप्स मिशन के प्रस्तावो ने मुस्लिम लीग द्वारा पाकिस्तान की मांग को और अधिक प्रोत्साहित किया , इस मिशन के प्रस्तावों ने भारत के पृथक्करण की शक्तियों को बढ़ावा दिया।

इसके कारण भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और मुस्लिम लीग के सम्बन्ध बहुत बिगड़ गये , मुस्लिम लीग अब एक अलग राष्ट्र पाकिस्तान की मांग के अलावा किसी भी बात पर समझौते के लिए तैयार नहीं थे जिसके कारण दोनों दलों के संबंध बिगड़ते चले गए , आगे चलकर ब्रिटिश सरकार ने भी मुस्लिम लीग की पाकिस्तान की मांग का समर्थन किया।

भारत छोड़ो आंदोलन के असफलता के कारण –

• भारत छोड़ो आदोलन की शुरुआत सुनियोजित तरीके से नहीं की गई थी क्योंकि न ही इस आंदोलन की रूपरेखा स्पष्ट थी और न ही उसका स्वरूप जनसाधारण को यह ज्ञात नहीं था कि आखिर उन्हें करना क्या है। 

• इस आंदोलन का उद्देश्य अहिंसा के द्वारा संपूर्ण भारत से ब्रिटिश साम्राज्य को समाप्त करना था जो परिस्थिति के हिसाब से संभव नहीं था ब्रिटिश सरकार का दमन – चक्र बहुत कठोर था आंदोलन शुरू होते ही ब्रिटिश सरकार ने क्रान्ति को दबाने के लिए पुलिस राज्य की स्थापना कर दी देश में जगह-जगह आंदोलनकारियों के बीच बमबारी, गोलीबारी और लाठीचार्ज किया गया जिसके कारण भारत छोड़ो आदोलन अब अहिंसक नहीं रह गया था। 

• भारत में कई वर्गों ने भारत छोड़ो आदोलन का विरोध किया क्योंकि अंग्रेज सरकार ने लोगों के मन में यह भ्रम पैदा किया कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा चलाए गए इस आंदोलन का उद्देश्य भारत में हिन्दू एकाधिकार की स्थापना करना है और अगर वह इस आंदोलन का साथ देंगे तो इस देश के मुस्लिम तथा अन्य वर्ग के लोग हिंदुओं के नीचे दबकर रहेंगे इन सभी कारणों के चलते भारत छोड़ो आंदोलन असफल हुआ।

भारत छोड़ो आंदोलन से संबंधित कुछ प्रमुख बिंदु – 

• भारत छोड़ो आंदोलन को अगस्त क्रांति भी कहा जाता है।

• भारत छोड़ो आंदोलन करा नारा ‘ युसूफ मेहरली ‘ ने दिया था।

• भारत छोड़ो आंदोलन के समय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष श्री अबुल कलाम आज़ाद थे।

• भारत छोड़ो आंदोलन के समय मुस्लिम लीग के अध्यक्ष अबुल कलाम आजाद थे।

• भारत छोड़ो आंदोलन के समय भारत का वायसराय  ‘ लॉर्ड लिनलिथगो ‘ थे।

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