Meaning of Psychology in Hindi । मनोविज्ञान का अर्थ, परिभाषा एवं इसकी शाखाएं
मनोविज्ञान विज्ञान की एक महत्वपूर्ण शाखा है विज्ञान की इस शाखा के अंतर्गत सभी जीवधारियों के व्यवहार और मानसिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है विज्ञान की शाखा के अंतर्गत मुख्य रूप से मनुष्य के मन का अध्ययन किया जाता है इसके साथ ही इसमें विभिन्न प्राणियों एवं पशु – पक्षियों के शारीरिक और मानसिक विकास का भी अध्ययन किया जाता है हमने इस आर्टिकल में सरल एवं आसान शब्दों में मनोविज्ञान की परिभाषा, मनोविज्ञान का अर्थ, मनोविज्ञान का प्रकार, इसकी शाखाएं एवं मनोविज्ञान में शिक्षा की भूमिका का वर्णन किया है यदि आप मनोविज्ञान ( Psychology in Hindi ) से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो हमारे इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।
मनोविज्ञान का अर्थ ( psychology in Hindi )
मनोविज्ञान, विज्ञान की वह शाखा है जिसमें मन का अध्ययन किया जाता है मनोविज्ञान शब्द का शाब्दिक अर्थ ‘ मन का विज्ञान ‘ है।
मनोविज्ञान शब्द अंग्रेजी भाषा के Psychology शब्द से बना हैं साइकोलॉजी शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के दो शब्द पहला साइकी तथा दूसरा लोगस से मिलकर हुआ है जिसमें साइकी शब्द का अर्थ है आत्मा जबकि लोगस का अर्थ है अध्ययन इसलिए मुख्य रूप से साइकोलॉजी शब्द का अर्थ है ‘ आत्मा का अध्ययन करना ‘ ।
मनोविज्ञान का जन्म 300 ई. पू को यूनान में हुआ था उस समय मनोविज्ञान, दर्शनशास्त्र का भाग था लेकिन आगे चलकर इसे दर्शनशास्त्र से अलग कर दिया गया मनोविज्ञान को दर्शनशास्त्र से अलग करने का श्रेय संरचनावादी मनोवैज्ञानिकों को दिया जाता हैं। मनोविज्ञान की प्रथम प्रयोगशाला 18 सो 79 में जर्मनी के लिपजिंग शहर में विलियम वुंट ने की थी इसलिए विल्हेम वुण्ट को मनोविज्ञान का पिता भी कहा जाता है।
मनोविज्ञान की परिभाषा ( Definition of Psychology in Hindi )
मनोविज्ञान (Psychology) एक प्रकार की शैक्षिक और अनुप्रयोगात्मक विद्या है जिसके अंतर्गत सभी प्राणियो के मानसिक क्रियाओं, अनुभवों तथा व्यवहाराें का क्रमबद्ध और वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता है दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि मनोविज्ञान एक ऐसा विज्ञान है जिसमें क्रमबद्ध रूप से प्रेक्षणीय व्यवहार का अध्ययन प्राणी के मानसिक एवं दैनिक क्रियाओं जैसे चिंतन भाव आदि का वातावरण की घटनाओं के साथ जोड़कर अध्ययन किया जाता है मनोविज्ञान के व्यवहारिक अध्ययन में मानव व्यवहार तथा पशु व्यवहार दोनों का अध्ययन सम्मिलित हैं।
मनोविज्ञान को अनुभव का भी विज्ञान कहा जाता है तथा इस विज्ञान का उद्देश्य चेतनावस्था की प्रक्रिया के तत्त्वों का विश्लेषण तथा परस्पर संबंधों का को निर्धारित करनेवाले नियमों का पता लगाना है।
लेकिन फिर भी भिन्न-भिन्न वैज्ञानिकों ने अपने अनुभव और ज्ञान के आधार पर मनोविज्ञान ( Psychology ) को अलग-अलग रूप में परिभाषित किया है अलग-अलग वैज्ञानिकों को द्वारा दी गई मनोविज्ञान की परिभाषाएं भिन्न भिन्न है।
भिन्न-भिन्न वैज्ञानिकों द्वारा दी गई मनोविज्ञान की परिभाषाएं निम्नलिखित हैं ( Meaning of Psychology in Hindi )
वाटसन के अनुसार,
मनोविज्ञान व्यवहार का निश्चित और शुद्ध विज्ञान है।
मैक्डूगल के अनुसार,
मनोविज्ञान, आचरण एवं व्यवहार का यथार्थ विज्ञान है।
वुडवर्थ के अनुसार,
मनोविज्ञान, वातावरण के सम्पर्क में होने वाले मानव व्यवहारों और संबंधो का विज्ञान है।
क्रो एण्ड क्रो के अनुसार,
मानव-व्यवहार और मानव सम्बन्धों का अध्ययन ही मनोविज्ञान है।
बोरिंग के अनुसार,
मनोविज्ञान विज्ञान की वह शाखा है जिसमें मानव प्रकृति का अध्ययन किया जाता है ।
स्किनर के अनुसार,
मनोविज्ञान, व्यवहार और अनुभव का विज्ञान है उनका कहना है कि मानव व्यवहार एवं अनुभव से सम्बंधित निष्कर्षो का शिक्षा के क्षेत्र में प्रयोग को शिक्षा मनोविज्ञान कहते है।
मन के अनुसार,
आधुनिक मनोविज्ञान का सम्बन्ध व्यवहार की वैज्ञानिक खोज से है।
गैरिसन के अनुसार,
मनोविज्ञान का सम्बन्ध प्रत्यक्ष मानव व्यवहार से है।
गार्डनर मर्फी के अनुसार,
मनोविज्ञान वह विज्ञान है जो वातावरण के प्रति जीवित व्यक्तियों की अनुक्रियाओं का अध्ययन करता है।
ब्राउन के अनुसार,
मानव व्यवहार के अध्ययन को ही मनोविज्ञान कहा जाता है।
अभिषेक के अनुसार ,
किसी जीव या प्राणी के संदर्भ में मानव मस्तिष्क में आए विचारों का मस्तिष्क द्वारा निकाले गये निष्कर्षों को परिभाषित करना ही मनोविज्ञान कहलाता हैं।
मनोविज्ञान के प्रकार ( Types of Psychology in Hindi )
मनोविज्ञान को प्रमुख रूप से चार भागों – व्यवहारिक, संज्ञानात्मक, विकासात्मक, शैक्षिक में विभाजित किया जा सकता है ।
1. व्यवहारिक मनोविज्ञान
इसमें मनुष्यों एवं पशु – पक्षियों के व्यवहार एवं उनके द्वारा की गई क्रियाओं का विस्तार पूर्वक अध्ययन किया जाता है इसके साथ ही इसके द्वारा यह भी ज्ञात किया जाता है कि किसी विशेष परिस्थिति अथवा वातावरण कोई भी जीव किस तरह से व्यवहार करता है।
2. संज्ञानात्मक
इसमें किसी भी व्यक्ति की स्मृति और अधिगम क्षेत्र का अध्ययन किया जाता है इसमें विशेष रूप से यह अध्ययन किया जाता है कि कोई भी व्यक्ति किसी भी चीज अथवा घटना को कितने समय तक याद रखता है एवं वह किसी भी समस्या को कैसे समझता है और उसका समाधान कैसे निकालता है।
3. विकासात्मक
इसमें सभी व्यक्तियों एवं पशु – पक्षियों के विकास का अध्ययन किया जाता है शारीरिक एवं मानसिक दोनों रूपों में व्यक्तियों एवं पशु – पक्षियों के विकास का अध्ययन किया जाता है इसमें किसी व्यक्ति या पशु – पक्षी की शारीरिक अथवा मानसिक विकास में किसी प्रकार की समस्या होने पर उस समस्या का समाधान निकालने का भी प्रयास किया जाता है।
4. शैक्षिक
आधुनिक शिक्षा में इसका अपना एक महत्वपूर्ण योगदान है क्योंकि आधुनिक शिक्षा का स्वरूप बाल केंद्रित है और एक अध्यापक के लिए बच्चों के व्यवहार को जानना बहुत आवश्यक है क्योंकि प्रत्येक बच्चा एक-दूसरे से भिन्न-भिन्न होता हैं इसमें बच्चों की आवश्यकता के अनुसार उन्हें शिक्षा देने का प्रयास किया जाता है इसलिए इसका प्रयोग शिक्षा के क्षेत्र में किया जाना बेहद आवश्यक हैं।
मनोविज्ञान की शाखाएं ( Branches of psychology in Hindi )
साइकोलॉजी हमारे जीवन में कई रूप में प्रयोग किया जाता है। मनोविज्ञान जाने अनजाने हमारे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र से जुड़ा हुआ है मनोविज्ञान की बहुत सारी शाखाएं हैं और प्रत्येक शाखा का अपना एक विशेष महत्व है इन शाखाओं के अंतर्गत मानव जीवन से जुड़े विभिन्न चीजों का अध्ययन किया जाता है इस आर्टिकल में हमने नीचे मनोविज्ञान की सभी शाखाओं का विस्तार पूर्वक वर्णन किया है।
मनोविज्ञान की कुछ प्रमुख शाखाएं निम्नलिखित हैं –
1. असमान्य मनोविज्ञान (Abnormal psychology )
2. जीववैज्ञानिक मनोविज्ञान ( Biological psychology )
3. नैदानिक मनोविज्ञान ( clinical psychology )
4. संज्ञानात्मक मनोविज्ञान ( Cognitive psychology )
5. सामुदायिक मनोविज्ञान ( Community Psychology )
6. तुलनात्मक मनोविज्ञान ( Comparative psychology )
7. परामर्श मनोविज्ञान ( Counseling psychology )
8. आलोचनात्मक मनोविज्ञान ( Critical psychology )
9. विकासात्मक मनोविज्ञान ( Developmental psychology )
10. आपराधिक मनोविज्ञान ( Forensic psychology )
11. वैश्विक मनोविज्ञान ( Global psychology )
12. स्वास्थ्य मनोविज्ञान ( Health psychology )
13. औद्योगिक एवं संगठनात्मक मनोविज्ञान ( Industrial and organizational psychology )
14. विधिक मनोविज्ञान ( Legal psychology )
15. व्यावसायिक स्वास्थ्य मनोविज्ञान ( Occupational health psychology )
16. व्यक्तित्व मनोविज्ञान ( Personality psychology )
17. संख्यात्मक मनोविज्ञान ( Quantitative psychology )
18 .गणितीय मनोविज्ञान ( Mathematical psychology )
19. सामाजिक मनोविज्ञान ( Social psychology )
20. विद्यालयीन मनोविज्ञान ( School psychology )
21. पर्यावरणीय मनोविज्ञान ( Environmental psychology )
22. योग मनोविज्ञान ( Yoga Psychology )
23. मनोमिति ( Psychometrics )
मनोविज्ञान की विचारधाराएं – ( ideology of psychology in hindi )
समय के साथ-साथ मनोविज्ञान की विचारधाराएं भी बदलती चली गई मनोविज्ञान की उत्पत्ति से अब तक इसके बारे में कई विचारधारा प्रकट की जा चुकी है अलग-अलग सदी में भिन्न-भिन्न मनोवैज्ञानिकों ने मनोविज्ञान के संबंध में अलग-अलग विचारधाराएं प्रस्तुत की है जो निम्नलिखित है
1. मनोविज्ञान आत्मा का विज्ञान – यह मनोविज्ञान की प्रथम विचारधारा है मनोविज्ञान की इस विचारधारा की समय अवधि मनोविज्ञान की उत्पत्ति से 16 वीं सदी तक माना जाता हैं मनोविज्ञान की विचारधारा को मुख्य रूप से यूनानी दार्शनिकों ने स्वीकार किया है उनका मानना है कि साइकोलॉजी का शाब्दिक अर्थ भी आत्मा के अध्ययन को इंगित करता है मनोविज्ञान की इस विचारधारा का समर्थन प्लेटो, अरस्तू, देकार्ते, सुकरात आदि ने भी किया है ।
2. मनोविज्ञान मन/मस्तिष्क का विज्ञान – यह मनोविज्ञान की दूसरी विचारधारा हैं मनोविज्ञान की इस विचारधारा की उत्पत्ति की समयावधि 17वीं शताब्दी से 18वीं सदी तक माना जाता जब 17वीं शताब्दी के मध्य में कई दार्शनिकों ने आत्मा के विज्ञान के रूप में मनोविज्ञान की विचारधारा को अस्वीकार कर दिया किया जिसके बाद 17वीं शताब्दी के मध्य युग के दार्शनिकों ने मनोविज्ञान के संबंध में एक नई विचारधारा मनोविज्ञान को मन के विज्ञान के रूप प्रस्तुत किया मनोविज्ञान की इस विचारधारा का समर्थन मुख्य रूप से जॉन लॉक, पेम्पोलॉजी, थॉमस रीड आदि मनोवैज्ञानिकों ने किया ।
3. मनोविज्ञान चेतना का विज्ञान– यह मनोविज्ञान की तीसरी विचारधारा हैं मनोविज्ञान के इस विचारधारा की उत्पत्ति 19 वीं शताब्दी माना जाता हैं मनोविज्ञान की इस विचारधारा का समर्थन विलियम वुंट, विलियम जेम्स, ई. बी टिचनर आदि मनोवैज्ञानिकों ने किया इन्होंने मनोविज्ञान को एक नई विचारधारा चेतना के विज्ञान की परिभाषा दी और कहा कि मनोविज्ञान चेतन क्रियाओं का अध्ययन ही मनोविज्ञान है ।
इन्होंने मनोविज्ञान को मन या मस्तिष्क के विज्ञान की जगह चेतना के विज्ञान के रूप में व्यक्त किया ।
4. मनोविज्ञान व्यवहार का विज्ञान– व्यवहार का विज्ञान मनोविज्ञान की चौथी और नवीनतम विचारधारा हैं मनोविज्ञान के इस विचारधारा की समयावधि 20वीं शताब्दी से अब तक माना जाता है यह मनोविज्ञान की सबसे महत्वपूर्ण विचारधारा हैं 20वीं शताब्दी में कई महान मनौवैज्ञानिक ने मनोविज्ञान को व्यवहार की एक निश्चित विज्ञान के रूप में स्वीकार किया
मनोविज्ञान की इस विचारधारा का समर्थक मुख्य रूप से वाट्सन, वुडवर्थ, स्किनर आदि मनौवैज्ञानिकों को माना गया है इन्होंने ने इसे व्यवहार की एक निश्चित विज्ञान के रूप में स्वीकार किया और वर्तमान समय में इस विचारधारा को मनोविज्ञान की सर्वमान्य विचारधारा के रूप में स्वीकार किया गया है ।
शिक्षा के क्षेत्र में मनोविज्ञान की भूमिका ( psychology role in Education )
शिक्षा के क्षेत्र में मनोविज्ञान का एक बड़ा एवं बहुत महत्वपूर्ण योगदान है क्योंकि मनोविज्ञान शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया को प्रभावशाली और बनाने का कार्य करती है इसके साथ ही यह छात्रों के व्यवहार और उनकी आवश्यकताओं को समझने में अध्यापक की सहायता करती है जिसके कारण ही मनोविज्ञान को शिक्षा के पाठ्यक्रम के रूप में भी सम्मिलित किया गया है यह विकर्षण संस्थानो में बालकों को सरल व सहज बनाने का कार्य करती है शिक्षा में मनोविज्ञान की भूमिका को हम निम्नलिखित रूपों में व्यक्त कर सकते हैं –
1. व्यक्तिगत भिन्नता – हम क्या भली-भांति जानते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से भिन्न होता है इसके साथ ही प्रत्येक व्यक्ति का शारीरिक और मानसिक विकास भी भिन्न-भिन्न होता है उदाहरण यदि हम व्यक्तिगत भिन्नता को बालकों के ऊपर प्रयोग करें तो हर एक बालक दूसरे बालक से शारीरिक और मानसिक रूप से भिन्न होता है क्योंकि जब एक अध्यापक बच्चों को किसी भी विषय के बारे में पढ़ाता है तो ऐसे में कोई बच्चा उस विषय को आसानी से समझ और सिख लेता है जबकि दूसरा बच्चा उसी विषय को सिखने और समझने में काफी समय लगा देता है ऐसे में अध्यापक बच्चों को व्यक्तिगत भिन्नता को देखते हुए भी सभी बच्चों को एक साथ लेकर आगे बढ़ने का प्रयास करते हैं यह मनोविज्ञान का ही परिणाम है।
2. मनोविज्ञान की पाठ्यक्रम में भूमिका – बच्चों के स्टाइल और आवश्यकता को ध्यान में रखते हैं वर्तमान समय में पाठ्यक्रम निर्माण में भी मनोविज्ञान का अपना अहम योगदान निभाता है वर्तमान समय में जो भी पाठ्यक्रम बनाया जा रहा है वो बच्चों की मानसिक स्थिति को ध्यान में रखकर बनाया जा रहा है ताकि बच्चों की आवश्यकता के अनुसार उनके पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तक को सुनिश्चित किया जा सके पाठ्यक्रम में सह शैक्षिक गतिविधियों के द्वारा अध्यापन की पद्धति को मनोविज्ञान ने ही जन्म दिया है।
3. नकारात्मक और सकारात्मक पुनर्बलन – सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही पुनर्बलन मनोविज्ञान की ही देन है मनोविज्ञान ही अध्यापक को यह समझने की बुद्धि देता है कि बच्चों को कब और कौन सा पुनर्बलन देना है। उदाहरण के लिए यदि कोई बच्चा किसी समस्या को सुलझाने में असहाय सिद्ध हो तो उस स्थिति में अध्यापक उस बच्चे को नकारात्मक पुनर्बलन नहीं बल्कि उसे अभिप्रेरित करेंगे अर्थात सकारात्मक पुनर्बलन देंगे ताकि आगे चलकर वह बच्चा इस समस्या को सुलझाने के लिए प्रेरित हो और वह किसी भी समस्या को आसानी से सुलझा पाए यह मनोविज्ञान की ही देन है।
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