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भारत की आधिकारिक भाषाएं । National language of India in Hindi

भारत की आधिकारिक भाषाएं | National language of India in Hindi

आधिकारिक भाषा का महत्व

आधिकारिक भाषा या राजभाषा किसी भी राष्ट्र या राज्य द्वारा घोषित भाषा होती है जिस भाषा का उपयोग राष्ट्र या राज्य के सभी सरकारी प्रयोजना में किया जाता हैं। जैसे कि भारत की आधिकारिक भाषा हिंदी और अंग्रेजी है इसका अर्थ है कि भारत के सभी सरकारी कामकाज हिंदी और अंग्रेजी भाषा में ही किए जाते हैं ।

भारत की आधिकारिक भाषाएं – 

भारत जनसंख्या के हिसाब से दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा एवं क्षेत्रफल के हिसाब से दुनिया का सातवां सबसे बड़ा देश है इस विशाल देश में अनेक प्रकार की भाषाएं बोली जाती है जिसमें से भारत की 40 फीसदी आबादी हिंदी भाषा बोलते हैं ।

हिंदी भारत में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है लेकिन फिर भी हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा न होकर महज एक राजभाषा है 

हालांकि हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए कई बार पहल किया जा चुका है लेकिन कुछ लोगों द्वारा इसका विरोध भी किया गया अधिकतर दक्षिण भारत के लोग हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने का विरोध करते रहे हैं यही कारण है कि भारतीय संविधान द्वारा किसी भी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं दिया गया है ।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि संघ की आधिकारिक भाषा देवनागरी लिपि में लिखी गई हिंदी भाषा है और अंग्रेजी भारत की गौण या सहायक अधिकारिक भाषा है।

भारतीय संविधान द्वारा सिर्फ 22 भाषाओं को मान्यता दी गई है संविधान द्वारा इन सभी 22 भाषाओं को अनुसूचित भाषा के रूप में संदर्भित किया गया है लेकिन केंद्र सरकार की आधिकारिक भाषा हिंदी और अंग्रेजी है यही कारण है कि भारत के सभी सरकारी कामकाज हिंदी और अंग्रेजी भाषा में किए जाते हैं।

हालांकि केंद्र सरकार द्वारा यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कोई भी राज्य अपनी आधिकारिक भाषा अपने अनुसार घोषित कर सकता है किसी भी राज्य को अपने स्वयं की आधिकारिक भाषा घोषित करने की पूरी छूट है कई राज्यों की अपनी आधिकारिक भाषा है लेकिन जिन राज्यों के अधिकारी भाषा नहीं है उन राज्यों में अधिकतर अंग्रेजी बोली जाती है । 

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 से 351 तक भाषाओं का उल्लेख किया गया है

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 (3) में कहा गया है कि संसद द्वारा उपयोग की जाने वाली भाषा अंग्रेजी होगी।

अनुच्छेद 344 संविधान के प्रारंभ से पांच वर्ष की समाप्ति पर राष्ट्रपति द्वारा एक भाषा आयोग के गठन का प्रावधान करता है।  अनुच्छेद 351 में हिंदी भाषा को विकसित करने के लिए प्रसार का प्रावधान है ताकि यह भाषा भारत की मिश्रित संस्कृति के सभी तत्वों के लिए अभिव्यक्ति के माध्यम के रूप में काम कर सके ।

संविधान की 8वीं अनुसूची में 22 भाषाएँ शामिल हैं जिसे भारतीय संविधान द्वारा आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया गया है ये सभी 22 भाषाएं हैं – असमिया, बंगाली , गुजराती , हिंदी , कन्नड़ , कश्मीरी , कोंकणी , मलयालम , मणिपुरी , मराठी , नेपाली , उड़िया , पंजाबी , संस्कृत , सिंधी , तमिल , तेलुगु , उर्दू , बोडो , संथाली , मैथिली और डोगरी ।

भारत की आधिकारिक भाषाओं के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी –

इन सभी 22 भाषाओं में से शुरुआत में सिर्फ 14 भाषाओं को भारतीय संविधान में शामिल किया गया था अर्थात मूल संविधान में सिर्फ 14 भाषाए है जिन्हें भारतीय संविधान द्वारा आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता प्रदान की गई थी ।

लेकिन वर्ष 1967 में 21 वें संशोधन अधिनियम, के तहत सिंधी भाषा को देश की 15 वीं अधिकारिक भाषा के रूप में भारतीय संविधान में जोड़ा गया था ।

जबकि कोंकणी, मणिपुरी और नेपाली को 71वें संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा भारतीय संविधान में शामिल किया गया ।

जिसके बाद वर्ष 2003 में बोडो, डोगरी, मैथिली और संथाली भाषा को 92 वें संशोधन अधिनियम द्वारा भारतीय संविधान में जोड़ा गया था ।

केंद्र सरकार ने इन 22 भाषाओं के अतिरिक्त भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में और अधिक भाषाओं को सम्मिलित करने के उद्देश्य से सितंबर 2003 में एक समिति ‘ सीताकांत महापात्र समिति ‘ का गठन किया इस समिति ने 2004 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जो अभी भी संबंधित अल्पसंख्यकों / विभागों के परामर्श से सरकार के विचाराधीन है ।

कोई भी राज्य अपने राज्य की राजभाषा किसी राज्य की विधायिका कानून द्वारा राज्य में उपयोग की जाने वाली किसी एक या एक से अधिक भाषाओं को उस राज्य के सभी आधिकारिक उद्देश्यों के लिए उपयोग की जाने वाली भाषा के रूप में नहीं अपना सकती जब तक राज्य का विधानमंडल कानून द्वारा उस भाषा को राज्य का अधिकारिक भाषा प्रदान नहीं करता, तब तक राज्य के भीतर सभी आधिकारिक उद्देश्यों के लिए अंग्रेजी भाषा का उपयोग जारी रहेगा ।

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