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प्रथम विश्वयुद्ध के कारण और परिणाम । First World War in Hindi 

First world war history in Hindi

प्रथम विश्व युद्ध के कारण और परिणाम ( First world war in Hindi )

प्रथम विश्वयुद्ध कब हुआ था ?

प्रथम विश्वयुद्ध इतिहास का पहला विश्वव्यापी युद्ध था।प्रथम विश्वयुद्ध की शुरूआत 28 जुलाई , 1914 में हुआ था ।  प्रथम विश्व युद्ध में जितने भी देशों ने भाग लिया था वे मित्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्र दो खेमों में बंट गए थे । जिसमें मित्र राष्ट्रों का नेतृत्व इंग्लैंड , जापान , संयुक्त राज्य अमेरिका , रूस तथा फ़्रांस जैसे अन्य देशों द्वारा किया गया था तथा धुरी राष्ट्रों का नेतृत्व जर्मनी , ऑस्ट्रिया हंगरी और इटली जैसे देशों ने किया था ।

4 वर्षों तक चलने वाले इस विश्व युद्ध में 36 देशों के लगभग 6.5 करोड़ लोगों ने हिस्सा लिया इस युद्ध में मित्र राष्ट्र के 60 लाख व धुरी राष्ट्र के 40 लाख सैनिकों की मृत्यु हो गई थी । प्रथम विश्व युद्ध दुनिया का सबसे विनाशकारी एवं भयानक घटनाओं में से एक था जिसमें निर्दोष नागरिकों और करोड़ो लोगों को अपना जीवन गंवाना पड़ा । 

इतिहास में पहली बार मशीन गन, टैंक्स, पानी से चलने वाली मिसाइल का उपयोग प्रथम विश्वयुद्ध में ही किया गया उस समय ऐसा माना जा रहा था कि सभी युद्धों का अंत कर देगा परंतु ऐसा नहीं हुआ इस युद्ध के बाद सन् 1939 में द्वितीय विश्वयुद्ध की शुरुआत हुई जो इस युद्ध से भी भयंकर था।

प्रथम विश्वयुद्ध के कारण (Cause of the First World War)

प्रथम विश्वयुद्ध का कोई एक प्रमुख कारण नहीं था बल्कि ऐसे कई कारण थे जिसके कारण इस युद्ध की शुरुआत हुई लेकिन फिर भी इस युद्ध के प्रारंभ होने के कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित है –

 1. ऑस्ट्रेलिया – हंगरी के राजकुमार ‘ आर्कड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड ‘ की हत्या

प्रथम विश्वयुद्ध के प्रारंभ होने का सबसे प्रमुख एवं तत्कालीन कारण ऑस्ट्रेलिया – हंगरी के राजकुमार आर्कड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड की हत्या को माना जाता है पहले से ही सर्बिया और ऑस्ट्रिया हंगरी के संबंध अच्छे नहीं थे ऑस्ट्रिया हंगरी ने सर्बिया के कुछ क्षेत्रों पर अपना नियंत्रण कर लिया था जिसके कारण सर्बिया के नागरिक ऑस्ट्रिया – हंगरी से काफी नाराज थे ऑस्ट्रेलिया के राजकुमार आर्कड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड ने ऑस्ट्रिया हंगरी द्वारा नियंत्रित सर्बिया के हिस्सों का दौरा करने का निर्णय लिया।

ऑस्ट्रिया हंगरी के राजकुमार फर्डिनेंड अपनी पत्नी के साथ सर्बिया का दौरा करने के लिए निकले जब राजकुमार फर्डिनेंड सर्बिया की ओर प्रस्थान कर रहे थे तब उनपर एक बम अटैक हुआ जिसमें वे बच गये परंतु उनके साथ आते हुए उनके कुछ साथी इस बम धमाके में घायल हो गये इसी बीच बोस्मिया नामक स्थान पर सर्बिया के ब्लैक हट संगठन के एक सदस्य प्रिंसिप ने राजकुमार फर्डिनेंड एवं उनकी पत्नी की गोली मारकर हत्या कर दी 28 जून 1914 को ऑस्ट्रेलिया हंगरी के राजकुमार फर्डिनेंड एवं उनकी पत्नी की मृत्यु हो गई।

अपने राजकुमार की मृत्यु पर ऑस्ट्रिया हंगरी के नागरिक काफी क्रोधित हुए और उन्होंने सर्बिया पर हमला करने का निर्णय लिया। हमले से पूर्व ऑस्ट्रिया ने अपने शर्तो को मनवाने के लिए सर्बिया को एक पत्र लिखा लेकिन सर्बिया ने ऑस्ट्रिया के सभी शर्तो को मानने से इनकार कर दिया जिससे ऑस्ट्रिया हंगरी के शासक अत्यधिक क्रोधित हुए और उन्होंने सर्बिया के खिलाफ युद्ध का ऐलान कर दिया।

सर्बिया, ऑस्ट्रिया हंगरी से काफी छोटा था इसलिए सर्बिया ने उनकी और से लड़ने के लिए रूस से सहायता मांगी इस युद्ध में रूस सर्बिया की सहायता करने के लिए तैयार हो गया धीरे-धीरे इस युद्ध में क‌ई देश शामिल हो गये और 2 देशों के आपसी विवाद से उत्पन्न हुआ यह युद्ध विश्वयुद्ध में बदल गया।

2. साम्राज्यवाद ( lmperialism )

प्रथम विश्व युद्ध का एक और कारण साम्राज्यवाद को माना जाता है प्रथम विश्व युद्ध से पहले एशिया और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में कच्चे माल की उपलब्धता यूरोपीय देशों के बीच विवाद का कारण बना इसी बीच जर्मनी और इटली भी इस उपनिवेशवाद में शामिल हो गया लेकिन इस कच्चे माल की उपलब्धता में उनके विस्तार की बहुत कम संभावना बची इसलिए इन देशों ने विस्तार की एक नयी नीति अपनाने का निर्णय लिया |

इस नयी विस्तारवाद नीति के द्वारा वे दूसरे राष्ट्रों के उपनिवेशों पर बलपूर्वक अपना अधिकार कर अपनी स्थिति को सुदृढ़ करना चाहते थे विभिन्न देशों की बढ़ती प्रतिस्पर्धा और साम्राज्य विस्तार की नीति में यूरोपीय देशों के मध्य मतभेद को जन्म दिया इन सभी कारणों ने संपूर्ण विश्व को प्रथम विश्व युद्ध की और धकेलने का कार्य किया।

साम्राज्यवाद की इस नीति में अपने प्रभाव क्षेत्र में वृद्धि करने के उद्देश्य से जर्मनी ने बर्लिन बगदाद रेलमार्ग योजना बनाई तो इंग्लैंड के साथ – साथ रूस और फ्रांस ने भी इस रेलमार्ग योजना का विरोध किया जिसके चलते इन देशों के बीच आपसी मतभेदों में वृद्धि हुई।

3. सैन्यवाद ( Militarism )

20 सदी में प्रवेश करते ही विश्व के अधिकांश देशों में हथियारों को अत्यधिक महत्व दिया जाने लगा प्रत्येक देश स्वयं को हर तरह से आधुनिक हथियारों से लैस करने का प्रयास कर रहा था। कई देशों ने भविष्य में युद्ध के लिए अपनी – अपनी सेना तैयार की जिसमें जर्मनी और ब्रिटेन सबसे आगे थे ।

वर्ष 1914 तक जर्मनी अन्य देशों की अपेक्षा आधुनिक लेस से संपन्न हथियार और सैन्य शक्ति में काफी आगे निकल चुका था। इस समय इटली और जर्मनी ने अपनी नौ – सेनिक शक्ति को काफी मजबूत कर लिया था ये देश अपनी सैन्य शक्ति से काफी विचलित थे जिसके कारण इन देशों ने प्रथम विश्वयुद्ध में भाग लेने का निर्णय लिया अतः हम कह सकते हैं कि सेना वालों ने भी विभिन्न देशों के मध्य प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने का काम किया |

4. राष्ट्रवाद ( Nationalism )

19वीं सदी तक पूरे यूरोप के लोगों में देशभक्ति की भावना जाग उठी जर्मनी और इटली का एकीकरण भी राष्ट्रवाद के आधार पर ही किया इस समय बाल्कन क्षेत्र में भी राष्ट्रवाद को अत्याधिक महत्व दिया जाने लगा क्योंकि उस समय बाल्कन क्षेत्र तुर्की साम्राज्य के अधीन था लेकिन जब तुर्की की स्थिति कमजोर होने लगा तो वह तुर्की से अपनी स्वतंत्रता की मांग करना शुरू कर दिया। 

5. परस्पर सहयोग संधिया

विभिन्न देशों के बीच परस्पर सहयोग संधियां भी इस युद्ध के कारण थे इन संधियों को करने का तात्पर्य यह था कि यदि कोई देश या राष्ट्र संधि में शामिल देश पर हमला करे तो उस देश के साथ जिन देशों ने संधि की है उन देशों को उसकी रक्षा के लिए सहयोग करना होगा विभिन्न देशों द्वारा दो प्रकार की संधि की गई थी  

त्रिपक्षीय संधि :- सन् 1882 में जर्मनी ऑस्ट्रिया – हंगरी और इटली के बीच यह संधि हुई इस संधि के तहत जर्मनी को ऑस्ट्रिया – हंगरी के साथ जोड़ दिया गया।

त्रिपक्षीय सौहार्द :- ब्रिटेन फ्रांस और रूस के बीच यह यह त्रिपक्षीय सौहार्द हुआ लेकिन यह सहयोग संधि सन् 1907 तक समाप्त हो गया।

6. जर्मनी की नई विस्तारवादी नीति

सन् 1890 में जर्मनी के सम्राट विल्हेम द्वितीय ने एक नई विस्तार वादी नीति शुरू की इस नीति के अंतर्गत सम्राट विल्हेम द्वितीय ने जर्मनी को विश्व शक्ति के रूप में परिवर्तित करने का प्रयास किया इस नीति का परिणाम यह हुआ कि विश्व के अन्य देशों ने जर्मनी को उभरते खतरे के रूप में देखना शुरू कर दिया जिसके कारण अंतरराष्ट्रीय अस्थिरता उत्पन्न हो गयी।

7. अंतर्राष्ट्रीय संस्था का अभाव

इस युद्ध का एक और कारण अंतरराष्ट्रीय संस्था का अभाव था उस समय ऐसी कोई भी अंतर्राष्ट्रीय संस्था नहीं थी जो राष्ट्रवाद, सैन्यवाद और साम्राज्यवाद पर नियंत्रण रख सके और विभिन्न देशों के बीच बिगड़ते आपसी संबंधो को सही करने का प्रयास करें।

उस समय अपनी अपनी मनमानी कर रहे थे जो देश ताकतवर थे वे अपने से कम ताकतवर देशों पर अपना नियंत्रण स्थापित करना चाहते थे इसके कारण विश्व के कई देशों की राजनीति में अराजकता की भावना उत्पन्न हो गयी।

प्रथम विश्वयुद्ध के परिणाम (Sideffect of First World War)

1. प्रथम विश्वयुद्ध क सामाजिक परिणाम

प्रथम विश्वयुद्ध ने संपूर्ण विश्व के समाज को पूरी तरह से बदल दिया प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से सामाजिक परिणाम सामने आए इस युद्ध के परिणामस्वरूप जन्म दर में गिरावट आ गई क्योंकि इस युद्ध में करीब 80 लाख लोग मारे गए जिसमें अधिकतर युवा शामिल थे कई हजार स्त्रियॉं विधवा हो गये और कई लाख बच्चे अनाथ हो गये युद्ध के पश्चात समाज में महिलाओं की भूमिका में भी काफी परिवर्तन हो महिलाएं कारखानों एवं दफ्तरों में कार्य करने लगे महिलाओं ने कारखानो एवं दफ्तरों में पुरुषो की स्थान लेने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई 

प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद कई देशों ने पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को अधिक अधिकार प्राप्त किए इसके साथ ही उच्च वर्गों के लोगों ने समाज में अपनी अग्रणी भूमिका को दिया।

2. प्रथम विश्वयुद्ध का राजनीतिक परिणाम 

प्रथम विश्वयुद्ध का राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ा युद्ध के पश्चात क‌ई साम्राज्यो का विघटन हो गया युगोस्लाविया, पोलैंड और चेकोस्लोवाकिया जैसे नये राष्ट्रो का उदय हुआ इस युद्ध ने रूस, ऑस्ट्रिया, फ्रांस और जर्मनी की सीमा को बदल दिया इसके साथ ही बाल्टिक क्षेत्र रूस साम्राज्य से स्वतंत्र हो गया फिलिस्तीन पर इंग्लैंड का नियंत्रण हो गया जापान को भी कई नये क्षेत्रो की प्राप्ति हुई इसके साथ ही एशियाई और अफ्रीकी उपनिवेशों पर मित्र राष्ट्रों का अधिकार होने से वहां की स्थिति भी काफी बदल गई।

3. प्रथम विश्वयुद्ध का आर्थिक परिणाम 

 प्रथम विश्व युद्ध के कारण विश्व के सभी देशों को बहुत अधिक धन की क्षति हुई जर्मनी और ब्रिटेन ने अपनी अर्थव्यवस्था का 60% धन इस युद्ध में खर्च कर दिया। प्रत्यक्ष रूप से इस युद्ध में लगभग 10 खरब रूपये खर्च हुए तथा अप्रत्यक्ष रूप से आज सीमित संसाधनों का खर्च हुआ प्रथम विश्व युद्ध के बाद आर्थिक क्षति विभिन्न कारणों में कुछ प्रमुख कारण वस्तुओं के मूल्यों में वृद्धि , राष्ट्रीय ऋण भार , जनता के ऊपर करों की अधिकता व बेरोजगारी थे इसके साथ ही इस युद्ध ने मुद्रा स्फिती को भी जन्म दिया।

प्रथम विश्वयुद्ध में शामिल देश

प्रथम विश्वयुद्ध दो गुटों मित्र राष्ट्रो एवं धुरी राष्ट्रो के बीच हुई इस युद्ध में लगभग 37 देशों ने हिस्सा लिया था जिसमें से एक तरफ 17 से ज्यादा मित्र राष्ट्र इस युद्धें शामिल हुए जिनमें सर्बिया , ब्रिटेन , जापान , रूस , फ्रांस , इटली और अमेरिका आदि देश शामिल थे जबकि दूसरी तरफ धुरी राष्ट्रो की और से जर्मनी , ऑस्ट्रिया , हंगरी , बुल्गारिया आदि देश शामिल थे।

प्रथम विश्व युद्ध में किसकी हार हुई ?

प्रथम विश्वयुद्ध में धुरी राष्ट्रों की हार हुई इस युद्ध में मित्र राष्ट्रो की और से ब्रिटेन , फ़्रांस और अमेरिका ने जर्मनी आदि देशों ने धुरी राष्ट्रों जर्मनी ऑस्ट्रिया आदि देशों को पराजित कर दिया।

बैटल ऑफ़ ऐमियों’ या ‘The hundred days’ के नाम से मशहूर यह प्रथम विश्वयुद्ध का एक निर्णायक युद्ध था जिसमें मित्र राष्ट्रों की सेनाओं ने जर्मन सेना को अपने सामने घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया और इस विश्वयुद्ध को अंजाम तक पहुंचाया जर्मनी और आस्ट्रिया की प्रार्थना पर 11 नवम्बर 1918 को मित्र राष्ट्रों की ओर से इस युद्ध को समाप्त कर दिया गया और इस प्रकार प्रथम विश्वयुद्ध समाप्त हुआ।

FAQ Related to First world War in Hindi ( प्रथम विश्वयुद्ध से संबंधित कुछ पूछे जाने वाले प्रश्न )

प्रथम विश्वयुद्ध में कितने देश शामिल हुए थे ?

कहा जाता है कि प्रथम विश्वयुद्ध में लगभग 37 देशों ने हिस्सा लिया था जिसमें से सभी देश दो गुटों मित्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्र में बंट गए थे एक और मित्र राष्ट्रों का नेतृत्व इंग्लैंड , जापान , संयुक्त राज्य अमेरिका , रूस तथा फ़्रांस जैसे अन्य देशों द्वारा किया गया था तथा धुरी राष्ट्रों का नेतृत्व जर्मनी , ऑस्ट्रिया हंगरी और इटली आदि देशों ने किया था |

प्रथम विश्वयुद्ध कब शुरू हुआ था ?

प्रथम विश्वयुद्ध की शुरुआत 28 जुलाई 1914 को हुई।

प्रथम विश्वयुद्ध कब से कब तक हुआ ?

प्रथम विश्वयुद्ध की शुरुआत 28 जुलाई 1914 को हुई तथा इस युद्ध की समाप्ति 18 नवंबर 1918 को हुई यानि यह युद्ध लगभग 4 वर्ष, 4 महीने तक चला।

अमेरिका प्रथम विश्वयुद्ध में कब शामिल हुआ ?

16 अप्रैल 1917 को अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन के हस्ताक्षर के बाद अधिकारिक तौर पर संयुक्त राज्य अमेरिका प्रथम विश्वयुद्ध में शामिल हो गया अमेरिका का प्रथम विश्व युद्ध में शामिल होने के पश्चात् इस युद्ध की स्थिति और भी ज्यादा गंभीर हो गई। 

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